अफगानिस्तान को लेकर अपने रुख में बदलाव की ओर बढ़ रहा है अमेरिका’

अफगानिस्तान को लेकर अपने रुख में बदलाव की ओर बढ़ रहा है अमेरिका’

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि अमेरिका अफगानिस्तान को लेकर अपने रुख में बदलाव करने की ओर बढ़ रहा है, लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि उसका रुख क्या होगा। जयशंकर ने एक थिंक टैंक से बुधवार को कहा, ”मैंने वॉशिंगटन में अमेरिकियों के साथ अफगानिस्तान और पाकिस्तान को लेकर बातचीत की। … मुझे समग्र रूप से लगता है, हर कोई यह देख सकता है कि अमेरिका रुख में बदलाव की ओर बढ़ रहा है लेकिन यह अस्पष्ट है कि वह रुख क्या होगा।”

जयशंकर ने अमेरिका के विदेश मंत्री एवं राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार समेत शीर्ष अमेरिकी नेतृत्व के साथ कई बैठकें करने के बाद यह बात कही। विदेश मंत्री ने ‘द हेरीटेज फाउंडेशन’ के सदस्यों से बातचीत के बाद पेंटागन में अमेरिका के रक्षा मंत्री से मुलाकात की। जयशंकर ने कहा कि इस समय, उनका यह यथोचित मानना है कि एक आंतरिक बहस चल रही है। उन्होंने कहा कि उनके अपने विचार हो सकते हैं लेकिन उन्हें वास्तविकता को ध्यान में रखना हेागा।

जयशंकर ने कहा, ”अंतत: यह पूरी तरह अमेरिका का मामला है कि उसका क्या रुख है।” उन्होंने कहा कि इसलिए भारत के साथ अमेरिका की बातचीत मुख्य रूप से इस बात पर केंद्रित रही कि पिछले 18 साल में अफगानिस्तान के संदर्भ में जो प्रगति हुई है उसे कायम और सुरक्षित रखने के लिए क्या किया जा सकता है।

जयशंकर ने कहा कि भारत के अफगानिस्तान के साथ ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और अब आर्थिक, विकासात्मक एवं राजनीतिक संबंध हैं। उन्होंने कहा, ”हम जानते हैं कि यह बहुत बहुलतावादी राजनीति है। इसकी अपनी चुनौतियां है, लेकिन हमारा समग्र रूप से यह मानना है कि किसी भी देश में, मुख्य रूप से उस देश के लोगों, उस देश के चुने गए प्रतिनिधियों को उस समाज में घटनाक्रमों की दिशा के बारे में अपनी बात रखने का अधिकार होना चाहिए।”

जयशंकर ने कहा कि यह अफगानिस्तान के मामले में भारत के मार्गदर्शक सिद्धांतों में से एक होगा। पाकिस्तान की भूमिका के बारे में एक प्रश्न का उत्तर देते हुए विदेश मंत्री ने कहा कि भारत अफगानिस्तान में अपनी विकास परियोजनाओं की एक लंबी सूची दे सकता है। उसने कहा, ”मैं अफगानिस्तान में पाकिस्तान की विकास परियोजनाओं की सूची देखना चाहता हूं।”

जयशंकर ने कहा, ”यदि आप पूछेंगे कि आपने (पाकिस्तान ने) पिछले 18 साल में (अफगानिस्तान में) क्या योगदान दिया तो मुझे लगता है कि वे शायद सबसे अच्छा उत्तर यह देंगे कि उन्होंने (अफगानिस्तान के) कई शरणार्थियों को शरण दी है, जो सच है, लेकिन सवाल यह है कि उन्होंने उसके बाद उनका क्या किया।”

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