आपको किसी तरह का दर्द नहीं होता और किसी तरह की सूजन भी नहीं होती है, लेकिन अक्सर आपके घुटने चटकते हैं या उनसे आवाज आती है। क्या आपको ऐसे में डॉक्टर के पास जाना चाहिए? डॉक्टर के पास जाने से पहले यह लेख पूरा पढ़ें, आपके लिए मददगार हो सकता है।
कई आवाजें, कई नाम
घुटनों से आने वाली आवाज को मेडिकल भाषा में ‘पॉपिंग, स्नैपिंग, कैचिंग, क्लिकिंग, क्रंचिंग, क्रैकिंग, क्रैकलिंग, क्रीकिंग, ग्राइंडिंग, ग्रैटिंग और क्लंकिंग कहा जाता है। ये सभी टर्म पूरी तरह टेक्निकल हैं और इनका उपयोग आवाज कितनी बार आती है, कितने समय के लिए आती है और कितनी जोर से आती है, इस आधार पर किया जाता है। इसलिए ‘क्रीक” और ‘क्रैक” व ‘ग्रिंड” और ‘ग्रैट” के बीच अंतर करना आसान नहीं है। फिर भी कोशिश के जरिए घुटने से आने वाली आवाज को बहुत बारीकी से सुनना होता है।
अक्सर, आप इस तरह की आवाजें जिम में सुनते हैं, जबकि घुटनों से जुड़ा कोई अभ्यास या स्क्वैट्स किया जाता है।
कब यह हंसी की बात नहीं है
घुटनों से आने वाली आवाज में एक बीमारी की बुनियाद होती है और इसे नजरअंदाज करने पर आपको नुकसान उठाना पड़ सकता है। उदाहरण के लिए आवाज आने का कारण घुटने की मिनिस्कस या टियर इंज्यूरी हो सकता है। मिनिस्कस अंग्रेजी के सी-आकार की रबर जैसी डिस्क होती है जो घुटनों में कुशन या गद्दी की तरह काम करती है। यह किसी भी तरह के झटके को सहन करने की क्षमता देती है और घुटने से जुड़ी सभी हड्डियों पर वजन का बंटवारा संतुलित ढंग से कर देती है।
पॉपिंग की आवाज
सिर्फ चिकित्सा जगत के लोगों के लिए प्रकाशित पत्र ‘क्लिनिक्स इन ऑर्थोपेडिक सर्जरी” में प्रकाशित एक लेख के अनुसार किसी भी खेल के दौरान घुटने के मुड़ जाने पर मिनिस्कस टिअर हो जाता है। युवाओं में किसी चोट के कारण घुटने के जोड़ खुल जाते हैं, जिस तरह हमारी उम्र बढ़ती है तो मिनिस्कस टिअर की आशंका बढ़ जाती है।
मायउपचार डॉट कॉम के साथ जुड़े चिकित्सक आयुष पांडे के अनुसार घुटने के जोड़ पर पड़ने वाले दबाव में बदलाव के कारण नाइट्रोजन के छोटे बुलबुले घुटने में पड़ जाते हैं। जब ये बुलबुले बहुत तेजी से बनते और फूटते हैं, तो उनसे पॉपिंग की आवाज आती है। हवा द्वारा उत्पन्न यह पॉपिंग घुटनों के जोड़ के अलावा अन्य जोड़ में भी होती है। यह हाथों की कोहनियों और अंगुलियों के जोड़ में होना बहुत स्वाभाविक है।
सायकोलॉजिकल पॉपिंग
एक अध्ययन के अनुसार इंफ्रापेटेलर प्लिका के 72 प्रतिशत मरीजों में सायकोलॉजिकल पॉपिंग और स्नैपिंग देखने को मिलती है। दस बरस के बहुत ज्यादा गतिमान बच्चे या डिस्कोइड मेनिस्कस की स्थिति में नियमित अंतराल पर पॉपिंग और स्नैपिंग बिना किसी दर्द के होता है और यह बताता है कि कुछ लोगों में यह सायकोलॉजिकल भी होता है। 2018 में हुआ एक अध्ययन बताता है कि घुटने से पॉपिंग की आवाज बिना दर्द के लोगों को ऑस्टियोआर्थ्राइटिस की सूचना देने का काम करती है।
गौर करें पॉपिंग की आवाज पर
घुटने से आने वाली पॉपिंग की आवाज पर हमेशा गौर करना चाहिए खासकर जब दर्द भी हो। घुटने के जोड़ संबंधी किसी भी दिक्कत से बचने के लिए तब अलग-अलग तरह की जांच जरूरी है। इनमें एमआरआई बहुत सामान्य है, ताकि जोड़ों का परीक्षण करने के साथ ही उसमें किसी भी तरह की असामान्यता का पता लगाया जा सके।
मिनिस्कस इंज्यूरी के प्रकरण में कई बार डॉक्टर टूटे हुए लिगामेंट को ठीक करने के लिए सर्जरी की सलाह भी देते हैं। सर्जरी के बाद भी बिना दर्द के घुटनों से पॉपिंग की आवाज आ सकती है क्योंकि घुटनों को सहारा देने वाली मांसपेशियां ठीक होने से पहले थोड़ी कमजोर रहती हैं। फिजिकल थेरेपी और घुटनों पर पट्टा पहनना न केवल घुटनों की पॉपिंग रोकने में मदद करता है, बल्कि चोट की आशंका को भी बहुत कम कर देता है।
कब जाएं डॉक्टर के पास
सामान्यत: घुटने की पॉपिंग से बहुत गंभीर जोखिम तब तक नहीं होता है जब तक दर्द न हो, सूजन न हो और चलना-फिरना बंद करने की नौबत न आ जाए। अगर जोड़ों से आने वाली पॉपिंग के साथ किसी तरह का दर्द होता है, तो डॉक्टर का परामर्श जरूरी है ताकि जोड़ों की सही जांच करवाई जा सके और सही उपचार को चुना जा सके।
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